वैभव सूर्यवंशी: 13 साल की उम्र में आईपीएल में चुने गए सबसे युवा क्रिकेटर की प्रेरक यात्रा
13 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी, बिहार के युवा क्रिकेटर, आईपीएल में खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए हैं। राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें 1.1 करोड़ रुपये में अपनी टीम में शामिल किया। यह युवा खिलाड़ी हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंडर-19 टेस्ट मैच में शानदार शतक बना चुका है, जिससे क्रिकेट जगत में उसकी प्रतिभा को पहचान मिली। वैभव की क्रिकेट यात्रा ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश को प्रेरित किया है, और उनके आईपीएल में चयन ने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा को कोई उम्र की सीमा नहीं होती। उनके भविष्य को लेकर उम्मीदें अब और भी बढ़ गई हैं।
वैभव सूर्यवंशी: भारतीय क्रिकेट की उभरती प्रतिभा
जीवन और पृष्ठभूमि
वैभव सूर्यवंशी का जन्म बिहार के समस्तीपुर में हुआ। उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने बचपन से ही क्रिकेट में उनकी रुचि को पहचाना। पिता ने अपने बेटे की प्रतिभा को निखारने के लिए घर के पीछे एक छोटा सा क्रिकेट मैदान बनाया।
संजीव सूर्यवंशी खुद एक क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उन्हें मुंबई जाकर बाउंसर का काम करना पड़ा। उन्होंने अपना सपना अपने बेटे के माध्यम से पूरा करने का निश्चय किया।
क्रिकेट करियर की शुरुआत
वैभव ने मात्र 4-5 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उनकी प्रारंभिक क्रिकेट शिक्षा समस्तीपुर के पटेल ग्राउंड में हुई। यहाँ से उनके करियर की नींव पड़ी।
बाद में वैभव ने पटना में पूर्व रणजी खिलाड़ी मनीष ओझा से क्रिकेट की बारीकियां सीखीं। कोच ओझा ने उनकी प्रतिभा को तराशा और उन्हें एक बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद की।
योगदान और प्रभाव
13 साल की छोटी सी उम्र में वैभव ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं। उन्होंने समस्तीपुर की ओर से हेमंत ट्रॉफी में खेलते हुए बिहार में सर्वाधिक रन बनाए। उनकी बल्लेबाजी शैली ने सभी को प्रभावित किया।
वैभव की सफलता की कहानी अन्य युवा क्रिकेटरों के लिए एक मिसाल बन गई है। उन्होंने साबित किया है कि प्रतिभा और मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
आईपीएल 2025 में वैभव 13 साल 243 दिन की उम्र में लीग के इतिहास में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने। राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें 1.1 करोड़ रुपये में अपनी टीम में शामिल किया।
संघर्ष और चुनौतियां
वैभव सूर्यवंशी के परिवार ने कई आर्थिक चुनौतियों का सामना किया। उनके पिता को मुंबई में बाउंसर का काम करना पड़ा। यहां तक कि सुलभ शौचालय में भी काम किया। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
संजीव सूर्यवंशी ने अपने बेटे के क्रिकेट करियर के लिए हर संभव प्रयास किया। उनकी मेहनत और समर्पण ने वैभव को आज इस मुकाम तक पहुंचाया है।
भविष्य की संभावनाएं
वैभव सूर्यवंशी के पास क्रिकेट में एक उज्जवल भविष्य की संभावनाएं हैं। उनकी प्रतिभा और युवा उम्र को देखते हुए वे भारतीय क्रिकेट के भविष्य के स्तंभ बन सकते हैं।
आईपीएल में चयन के बाद वैभव के पास भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने का सुनहरा मौका है। उनकी तकनीक और खेल की समझ उन्हें एक बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद करेगी।
वैभव सूर्यवंशी की कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि संघर्ष और सफलता की गाथा है। एक पिता का समर्पण और एक बेटे की प्रतिभा ने मिलकर भारतीय क्रिकेट को एक ऐसा हीरा दिया है, जो आने वाले समय में और भी चमकेगा।
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वैभव सूर्यवंशी की सफलता से यह साबित होता है कि प्रतिभा किसी भौगोलिक सीमा या आर्थिक स्थिति से बंधी नहीं होती। उनकी यात्रा भारत के युवा क्रिकेटरों को यह संदेश देती है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से हर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
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